सपनों का संसार निराला
बिना पंख के उड़ते
शैल शिखर पर चदते
नहीं पकड़ में आते
सरपट आते जाते
कभी अँधेरा कभी उजाला
भूत भयानक बनते
उल्टे पांवों चलते
हाथी घोड़ा भालू
पहने रुण्ड मुण्ड की माला
अनसोची सब दुनिया
ज्यों जादू की पुड़िया
भूत भविष्यत बांचें
सपने 'बच्चन 'की मधुशाला
[अलाहाबाद:ममफोर्डगंज :१३.०४.०९]
Wednesday, June 3, 2009
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