नंदन वन -सा सजा बगीचा
हरी घास का बिछा गलीचा
फूलों ने रंग दी रंगोली
मानो खेल रहे हों होली
फूल फूल पर बैठी तितली
फूल पराग चूसतीं फिरती
जैसी जैसे मैं पास गया
मन में उसके शक सुवह हुआ
हाल चाल कुछ पूँछ ना पाया
फुर्र फुर्र उढ़ हाथ हिलाया
[भोपाल:०९.07.०८]
Sunday, January 25, 2009
Wednesday, January 21, 2009
सुन सुन बिटिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
छिपा अँधेरा
हुआ सवेरा
तोता कौवा
जागी दुनिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
दादा दादी
पापा मम्मी
बबलू जागा
छोड़ी खटिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
चीचीं चहकी
चिड़िया बहकी
उडती तितली
अपनी बगिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
[बरोदा से भरूच रेलपथ :०३ १० ०८ ]
छिपा अँधेरा
हुआ सवेरा
तोता कौवा
जागी दुनिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
दादा दादी
पापा मम्मी
बबलू जागा
छोड़ी खटिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
चीचीं चहकी
चिड़िया बहकी
उडती तितली
अपनी बगिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
[बरोदा से भरूच रेलपथ :०३ १० ०८ ]
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