Sunday, January 25, 2009

तितली

नंदन वन -सा सजा बगीचा
हरी घास का बिछा गलीचा

फूलों ने रंग दी रंगोली
मानो खेल रहे हों होली

फूल फूल पर बैठी तितली
फूल पराग चूसतीं फिरती

जैसी जैसे मैं पास गया
मन में उसके शक सुवह हुआ

हाल चाल कुछ पूँछ ना पाया
फुर्र फुर्र उढ़ हाथ हिलाया
[भोपाल:०९.07.०८]

Wednesday, January 21, 2009

सुन सुन बिटिया

सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
छिपा अँधेरा
हुआ सवेरा
तोता कौवा
जागी दुनिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
दादा दादी
पापा मम्मी
बबलू जागा
छोड़ी खटिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
चीचीं चहकी
चिड़िया बहकी
उडती तितली
अपनी बगिया
सुन सुन बिटिया ,तोड़ न खटिया
[बरोदा से भरूच रेलपथ :०३ १० ०८ ]