नाव हमारी है कागज की
अजब कहानी वारिश की
सूरज निकला आसमान में
धूपदान की हठ ठानी
भूरे काले बादल दौड़े
वारिश करती मनमानी
सड़क डगर सब गलियाँ भीगीं
ghr aangn में पानी पानी
रेनकोट छतरी चिल्लाई
नाव कर रही अगवानी
नाव हमारी कागज़ की
अजब कहानी वरिश की
दौडे राही इधर उधर को
भींग ण जाए कपड़े लत्ते
पेड़ों कीछाया में ठिठके
बचा रहे मिलजुलकर पत्ते
खाली हाथों बादल भागे
खर से सर से जैसे सींग
faili गंध सरीली भीनीं
बिखरी ज्यों धरती पर हींग
टप टप बूंदों में खत्म कहानी
अजब कहानी वारिश ki
[panjim : 29।06।88] :
Friday, October 23, 2009
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