Friday, August 22, 2008

चंदा मामा

चंदा मामा तुम लगते हो
माखन मिश्री गोला
घटना बदना रूप बदलना
लगे उधारी चोला
घर से सूरज मामा निकले
लिए उधारी खाता
टकरा जाय राह में मामा
तुमको ना यह भाता
आँख मिचौनी खेला करते
नहीं पकड़ में आते
चांदी के सिक्के में ढलकर
सबका मन ललचाते
मामा के कर्जा के डर से
बहुरुपिया बन जाते
और अमावस की गोदी में
चुपके से छिप जाते
[भोपाल:२०.०८.०८]


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