नंदन वन सा सजा बगीचा
हरी घास का बिछा गलीचा
फूलों ने रंग दी रंगोली
मानों खेल रहें हों होली
फूल फूल पर बैठी तितली
फूल पराग चूसती तितली
जैसे जैसे मैं पास गया
मन में उसके शक सुवह हुआ
हाल चाल कुछ पूंछ न पाया
फुर्र फुर्र उड़ हाथ हिलाया
[भोपाल:०९.०७ ०८]
Wednesday, September 3, 2008
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