Wednesday, September 3, 2008

फूल फूल पर तितली

नंदन वन सा सजा बगीचा
हरी घास का बिछा गलीचा

फूलों ने रंग दी रंगोली
मानों खेल रहें हों होली

फूल फूल पर बैठी तितली
फूल पराग चूसती तितली

जैसे जैसे मैं पास गया
मन में उसके शक सुवह हुआ

हाल चाल कुछ पूंछ न पाया
फुर्र फुर्र उड़ हाथ हिलाया
[भोपाल:०९.०७ ०८]

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