नाव हमारी है कागज की
अजब कहानी वारिश की
सूरज निकला आसमान में
up दान की हठ ठानी
भूरे काले बादल दौड़े
वारिश करती मनमानी
सड़क डगर सब गलियाँ भींगी
घर आँगन में पानी पानी
enकोट छतरी av क्र रही अगवानी
नाव हमारी है कागज़
अजब कहानी वारिश की
दौड़े राही इधर उधर को
भींग न जाए कपड़े लत्ते
पेड़ों की छाया में thithke
बचा रहे मिलजुलकर atte
खाली हाथों बादल haage
खर के सर से जैसे सींग
फ़ैली गंध धुप की छन में
बिखरी ज्यों धरती पर हींग
टप टप बूंदों में खत्म कहानी
अजब कहानी वारिश की
[पंजिम:२९.०६.८८]
Thursday, July 24, 2008
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