Thursday, July 24, 2008

कहानी बारिश की

नाव हमारी है कागज की
अजब कहानी वारिश की
सूरज निकला आसमान में
up दान की हठ ठानी
भूरे काले बादल दौड़े
वारिश करती मनमानी
सड़क डगर सब गलियाँ भींगी
घर आँगन में पानी पानी
enकोट छतरी av क्र रही अगवानी
नाव हमारी है कागज़
अजब कहानी वारिश की
दौड़े राही इधर उधर को
भींग न जाए कपड़े लत्ते
पेड़ों की छाया में thithke
बचा रहे मिलजुलकर atte
खाली हाथों बादल haage
खर के सर से जैसे सींग
फ़ैली गंध धुप की छन में
बिखरी ज्यों धरती पर हींग
टप टप बूंदों में खत्म कहानी
अजब कहानी वारिश की
[पंजिम:२९.०६.८८]

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