Tuesday, September 23, 2008

सुबह सुबह

सुबह सुबह का सुखद नज़ारा
सुबह सबेरे सूरज निकले
हो जैसे फुटबाल
सारा आसमान रंग जाए
लाल लाल ,बस, लाल
जग का सब गायब अंधियारा
कोयल मैना सारे पंछी
चले छोड़ सब नीड़
आसमान में पड़े दिखाई
पंख पसारे भीड़
मंजिल का दूर किनारा
क्यारी क्यारी में आ उतरें
पसार पाव पसार
लाल टमाटर हरी मिर्च में
खुशियों का खुला पिटारा
लाल गुलाब हरी दूब पर
उतरे नया खुमार
रंग बिरंगे फूल फूल पर
किरणें हुईं सवार
करते मोहन किशन इशारा
[भरूच:नीरजा ;११.०६.०८]





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