एक ओर का हैंडल टूटा
कांच दूसरा आधा फूटा
घूरघूर सब ओर देखती
रंगों के सब भेद परखती
पूंछो तो झटपट बतलाती
पलपल माला जपती जाती
लाल गुलाब लाल बत्ती का
हरा बबूल नीम पत्ती का
पीला रंग है सरसों का
नीला बच्चों के बस्तों का
[भोपाल:०९.०७ ०९ ]
Thursday, February 19, 2009
Friday, February 13, 2009
मेरा घोड़ा
लकड़ी का है मेरा घोड़ा
भाता उसे न खाना कोड़ा
जैसे ही मैं ऐड लगाता
अदभुत खूब कमाल दिखाता
चाहो जहाँ वहां ले जाता
हम बच्चों को दिल से भाता
खाता है ना दाना पानी
थामे देख घर नाना नानी
[भोपाल:१२.०८.०९]
भाता उसे न खाना कोड़ा
जैसे ही मैं ऐड लगाता
अदभुत खूब कमाल दिखाता
चाहो जहाँ वहां ले जाता
हम बच्चों को दिल से भाता
खाता है ना दाना पानी
थामे देख घर नाना नानी
[भोपाल:१२.०८.०९]
Thursday, February 12, 2009
आलिम फाजिल
अम्मा बापू ने बतलाया
कैसे कैसे वे पदढ पाये
'पट्टी' की पूजा होने पर
गुड का भेला फूटा
गाँव और बच्चों ने मिलकर
खूब मजा तब लूटा
रोज 'बुधक्का' पट्टी के संग
पैदल पढने शाला आए
'कित्कंनों 'के ऊपर हमने
अपनी कलम घुमाई
पंडित जी ने 'ओणम' गिनती
बार बार रत्बाई
कान खिचे मुर्गा बन कर के
जाने कितने डंडे खाए
पंडित जी के संकेतों पर
पढ़ते लिखते सोते
रहे चुराते जी पढने से
मिले सदा वे रोते
पढ़े लिखे भूखे नंगे हम
तब आलिम्फाजिल बन पाये
[भोपाल:१२.०२.०९]
१२.०२.०९]
कैसे कैसे वे पदढ पाये
'पट्टी' की पूजा होने पर
गुड का भेला फूटा
गाँव और बच्चों ने मिलकर
खूब मजा तब लूटा
रोज 'बुधक्का' पट्टी के संग
पैदल पढने शाला आए
'कित्कंनों 'के ऊपर हमने
अपनी कलम घुमाई
पंडित जी ने 'ओणम' गिनती
बार बार रत्बाई
कान खिचे मुर्गा बन कर के
जाने कितने डंडे खाए
पंडित जी के संकेतों पर
पढ़ते लिखते सोते
रहे चुराते जी पढने से
मिले सदा वे रोते
पढ़े लिखे भूखे नंगे हम
तब आलिम्फाजिल बन पाये
[भोपाल:१२.०२.०९]
१२.०२.०९]
Wednesday, February 11, 2009
शिकवा शिकायत
मम्मी पापाजी बात सुनो
जूना मिला बस्ता मेरा
देख देख सब हंसते
बजना प्रेस के कपड़े मेरे
देख देख सब हंसते
मेरे मन का दर्द गुनो
भैया ने जो पदीं किताबें
फटीं पुरानी दिखतीं
टिफिन देख कर सबकी आखें
लगता कुछ कुछ कहतीं
उस सबका भी सार चुनो
मम्मी पापा सब बच्चों के
नित शाला पहुंचाते
पैदल आता जाता देखें
साथी मुंह बिचकाते
सबको भायें बो तार बुनो
[भोपाल:१३.१२.०८]
जूना मिला बस्ता मेरा
देख देख सब हंसते
बजना प्रेस के कपड़े मेरे
देख देख सब हंसते
मेरे मन का दर्द गुनो
भैया ने जो पदीं किताबें
फटीं पुरानी दिखतीं
टिफिन देख कर सबकी आखें
लगता कुछ कुछ कहतीं
उस सबका भी सार चुनो
मम्मी पापा सब बच्चों के
नित शाला पहुंचाते
पैदल आता जाता देखें
साथी मुंह बिचकाते
सबको भायें बो तार बुनो
[भोपाल:१३.१२.०८]
Tuesday, February 10, 2009
लूटपाट फ़िर मज़ा उड़ाया
मेरी पतंग के क्या कहने
रंग बिरंगे कपड़े पहने
महगें गहने लम्बी चोटी
हवा खिलाती उसको रोटी
फुर फुर हवा संग उड़ जाती
नीलगगन से हाथ मिलाती
लम्बी डोरी माझा तंगदा
लडें पेंच हो जाए झगड़ा
वो काटा बच्चों को भाया
लूटपाट फ़िर मज़ा उड़ाया
[भोपाल :0 ७ .02.०९ ]
रंग बिरंगे कपड़े पहने
महगें गहने लम्बी चोटी
हवा खिलाती उसको रोटी
फुर फुर हवा संग उड़ जाती
नीलगगन से हाथ मिलाती
लम्बी डोरी माझा तंगदा
लडें पेंच हो जाए झगड़ा
वो काटा बच्चों को भाया
लूटपाट फ़िर मज़ा उड़ाया
[भोपाल :0 ७ .02.०९ ]
Monday, February 9, 2009
आंखों का तारा
मेरा भैया है राजदुलारा
सबकी आंखों का तारा
मुझको रोज़ पढ़ाता
मेरा जी बहलाता
भूख लगे जब मुझको
बिस्कुट दूध पिलाता
सचमुच सब भैय्यों से न्यारा
सबकी आंखों का तारा
जब भी मेला जाता
साथ मुझे ले जाता
खेल खिलौना टॉफी
चाकलेट दिलबाता
घर आँगन का उजियारा
सबकी आखों का तारा
[भरूच: २०.०६.०८]
सबकी आंखों का तारा
मुझको रोज़ पढ़ाता
मेरा जी बहलाता
भूख लगे जब मुझको
बिस्कुट दूध पिलाता
सचमुच सब भैय्यों से न्यारा
सबकी आंखों का तारा
जब भी मेला जाता
साथ मुझे ले जाता
खेल खिलौना टॉफी
चाकलेट दिलबाता
घर आँगन का उजियारा
सबकी आखों का तारा
[भरूच: २०.०६.०८]
बुआ की भूल
माल पुआ अम्मा ने पकाए
जी भर मोटी बुआ ने खाए
अम्मा ने फिर परसी खीर
बुआ ने गप गप खाई खीर
ठंडा ठंडा पानी उडेला
मची पेट में रेलमपेला
तोंद गयी जब गेंद -सी फूल
पता चली तब बुआ को भूल
[भोपाल :१०.०८.०८]
जी भर मोटी बुआ ने खाए
अम्मा ने फिर परसी खीर
बुआ ने गप गप खाई खीर
ठंडा ठंडा पानी उडेला
मची पेट में रेलमपेला
तोंद गयी जब गेंद -सी फूल
पता चली तब बुआ को भूल
[भोपाल :१०.०८.०८]
Saturday, February 7, 2009
कोयल बच्चों में होड़
कोयल ने जब गाना गाया
बच्चों ने मिल उसे चिढ़ाया
कोयल बच्चो में होड़ लगी
सारी सीमायें तोड़ चली
कोयल ने जब जैसा गाया
बच्चों ने बैसा दुहराया
जिसने सुना उसी को भाया
मजा खूब बच्चों को आया
[ भोपाल:१६.०९ .०८ ]
बच्चों ने मिल उसे चिढ़ाया
कोयल बच्चो में होड़ लगी
सारी सीमायें तोड़ चली
कोयल ने जब जैसा गाया
बच्चों ने बैसा दुहराया
जिसने सुना उसी को भाया
मजा खूब बच्चों को आया
[ भोपाल:१६.०९ .०८ ]
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