Tuesday, February 10, 2009

लूटपाट फ़िर मज़ा उड़ाया

मेरी पतंग के क्या कहने
रंग बिरंगे कपड़े पहने
महगें गहने लम्बी चोटी
हवा खिलाती उसको रोटी
फुर फुर हवा संग उड़ जाती
नीलगगन से हाथ मिलाती
लम्बी डोरी माझा तंगदा
लडें पेंच हो जाए झगड़ा
वो काटा बच्चों को भाया
लूटपाट फ़िर मज़ा उड़ाया
[भोपाल :0 ७ .02.०९ ]

No comments: