मेरी पतंग के क्या कहने
रंग बिरंगे कपड़े पहने
महगें गहने लम्बी चोटी
हवा खिलाती उसको रोटी
फुर फुर हवा संग उड़ जाती
नीलगगन से हाथ मिलाती
लम्बी डोरी माझा तंगदा
लडें पेंच हो जाए झगड़ा
वो काटा बच्चों को भाया
लूटपाट फ़िर मज़ा उड़ाया
[भोपाल :0 ७ .02.०९ ]
Tuesday, February 10, 2009
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