मम्मी पापाजी बात सुनो
जूना मिला बस्ता मेरा
देख देख सब हंसते
बजना प्रेस के कपड़े मेरे
देख देख सब हंसते
मेरे मन का दर्द गुनो
भैया ने जो पदीं किताबें
फटीं पुरानी दिखतीं
टिफिन देख कर सबकी आखें
लगता कुछ कुछ कहतीं
उस सबका भी सार चुनो
मम्मी पापा सब बच्चों के
नित शाला पहुंचाते
पैदल आता जाता देखें
साथी मुंह बिचकाते
सबको भायें बो तार बुनो
[भोपाल:१३.१२.०८]
जूना मिला बस्ता मेरा
देख देख सब हंसते
बजना प्रेस के कपड़े मेरे
देख देख सब हंसते
मेरे मन का दर्द गुनो
भैया ने जो पदीं किताबें
फटीं पुरानी दिखतीं
टिफिन देख कर सबकी आखें
लगता कुछ कुछ कहतीं
उस सबका भी सार चुनो
मम्मी पापा सब बच्चों के
नित शाला पहुंचाते
पैदल आता जाता देखें
साथी मुंह बिचकाते
सबको भायें बो तार बुनो
[भोपाल:१३.१२.०८]
2 comments:
achhi kavita hai. badhai.
Goojar jee bahut bahut dhnybaad
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