Wednesday, February 11, 2009

शिकवा शिकायत



मम्मी पापाजी बात सुनो
जूना मिला बस्ता मेरा
देख देख सब हंसते
बजना प्रेस के कपड़े मेरे
देख देख सब हंसते
मेरे मन का दर्द गुनो
भैया ने जो पदीं किताबें
फटीं पुरानी दिखतीं
टिफिन देख कर सबकी आखें
लगता कुछ कुछ कहतीं
उस सबका भी सार चुनो
मम्मी पापा सब बच्चों के
नित शाला पहुंचाते
पैदल आता जाता देखें
साथी मुंह बिचकाते
सबको भायें बो तार बुनो
[भोपाल:१३.१२.०८]

2 comments:

shivraj gujar said...

achhi kavita hai. badhai.

Jaijairam anand said...

Goojar jee bahut bahut dhnybaad