मेरा मन सुख रस पी पाता
तरेर तोड़ गगन के लाता
सब टीचर गिटपिट करते है
श्याम शेख सहमें रहते हैं
नहीं समझ में कुछ भी आता
मेरा तन मन कँप कँप जाता
मन मसोसकर मैं रह जाता
तुम अजीब ही हो सब बच्चे
पढने लिखने में सब कच्चे
तानें पर तानें सब मारें
कोई नहीं गुने मनुहारें
मन मेरा गहरा धँस जाता
मन में भाव उठें कुछ ऐसें
छुटकारा पाऊँ मैं कैसे ?
शाला हो घर ,अपनी भाषा
प्यार मुहब्बत की परिभाषा
पढ़ने लिखने से जुड़ पाता
[भोपाल :२९.०३ ०९]
कँप
Monday, March 30, 2009
Saturday, March 21, 2009
मेरी प्यारी कलम
मेरी प्यारी कलम
सबसे न्यारी कलम
सीना ताने चले
जीते परी कलम soch
सोच सोच कर रखे
लिकना जारी कलम
लीक छोड़ कर चले
हसती गाती कलम
रचे नया इतिहास
अतुलित भारी कलम
[नागपुर: २६.०२.०९]
सबसे न्यारी कलम
सीना ताने चले
जीते परी कलम soch
सोच सोच कर रखे
लिकना जारी कलम
लीक छोड़ कर चले
हसती गाती कलम
रचे नया इतिहास
अतुलित भारी कलम
[नागपुर: २६.०२.०९]
Friday, March 20, 2009
गौरेया
घर आँगन में गौरैया
दाना चुगने आती
सब बच्च्चे जब शोर मचाते
फुर फुर फुर उड़ जाती
मगर दूसरे दिन आकर
चीं चीं चीं चीं गाती
बच्चों का जी बहलाकर
दाना ले उड़ जाती
चुनिया मुनिया खुश होते
अपने बच्चे लाती
फुदक फुदक घर आँगन में
परिचय फ़िर करबाती
दायें बाएँ आँख तिरेरे
कुछ कुछ कुछ समझाती
जब देखो तब चीं चीं में सब कुछ ही कह जाती
[भरूच:१२.०३.०९]
Tuesday, March 17, 2009
फूल फूल मत इतना फूल
फूल फूल मत इतना फूल
झर जाए बन जाए धूल
हंसीं उढाये सारे फूल
तितली जाए तुझको भूल
भौरा भूले गुंजन गान
जलकर राख बने सब शान
बनना पाये गले का हार
थून थून थूके पग पग हार
ठिठकें पाँव खींचती ध्यान
बच्चों जैसी हो मुस्कान
[भरूच:नीरजा ;१२.०३।09]
झर जाए बन जाए धूल
हंसीं उढाये सारे फूल
तितली जाए तुझको भूल
भौरा भूले गुंजन गान
जलकर राख बने सब शान
बनना पाये गले का हार
थून थून थूके पग पग हार
ठिठकें पाँव खींचती ध्यान
बच्चों जैसी हो मुस्कान
[भरूच:नीरजा ;१२.०३।09]
Saturday, March 14, 2009
दीपक एक :दिखें अनेक
शीशे कभी न झूठ बोलते
छिपे भेद का भेद खोलते
जब दो अकधें सीना तानें
एक दूसरे के हों सामने
बीच में जलता दीपक एक
बच्चें देखें दिखें अनेक
[भरूच:नीरजा :०७.०३.०९]
छिपे भेद का भेद खोलते
जब दो अकधें सीना तानें
एक दूसरे के हों सामने
बीच में जलता दीपक एक
बच्चें देखें दिखें अनेक
[भरूच:नीरजा :०७.०३.०९]
मोबाइल
मेरी दादी जब भी आती
नए खिलौनें ढेरों लाती
अबकी दिया नया मोबाइल
करना है नाना को डायल
चलना है अबकी कलकत्ता
कोई साथ न हो अलबत्ता
दुनिया भर की सैर करेंगे
सब मित्रों से बात करेंगे
[रेलपथ बरोदा से :०६.०३.०९]
नए खिलौनें ढेरों लाती
अबकी दिया नया मोबाइल
करना है नाना को डायल
चलना है अबकी कलकत्ता
कोई साथ न हो अलबत्ता
दुनिया भर की सैर करेंगे
सब मित्रों से बात करेंगे
[रेलपथ बरोदा से :०६.०३.०९]
Subscribe to:
Posts (Atom)