घर आँगन में गौरैया
दाना चुगने आती
सब बच्च्चे जब शोर मचाते
फुर फुर फुर उड़ जाती
मगर दूसरे दिन आकर
चीं चीं चीं चीं गाती
बच्चों का जी बहलाकर
दाना ले उड़ जाती
चुनिया मुनिया खुश होते
अपने बच्चे लाती
फुदक फुदक घर आँगन में
परिचय फ़िर करबाती
दायें बाएँ आँख तिरेरे
कुछ कुछ कुछ समझाती
जब देखो तब चीं चीं में सब कुछ ही कह जाती
[भरूच:१२.०३.०९]
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