फूल फूल मत इतना फूल
झर जाए बन जाए धूल
हंसीं उढाये सारे फूल
तितली जाए तुझको भूल
भौरा भूले गुंजन गान
जलकर राख बने सब शान
बनना पाये गले का हार
थून थून थूके पग पग हार
ठिठकें पाँव खींचती ध्यान
बच्चों जैसी हो मुस्कान
[भरूच:नीरजा ;१२.०३।09]
Tuesday, March 17, 2009
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