Wednesday, May 20, 2009

चुन्नू मुन्नू

घर आँगन बुनता सन्नाटा
सूनेपन का सिर भन्नाता
चुन्नू मुन्नू ज्योहीं जागे
लड़ना रोना चील झपट्टा
भनक पडी जब अम्माको
चैन कहाँ फिर अम्मा को
छोड़ा चौका चूल्हा सब
गुस्सा आया अम्मा को
खबर लगी जब पप्पा को
दौड़े दौड़े घर आए
दोनों लिपटे पप्पा को
फरियादें जब शुरू हुईं
दोनों हो गए छुई मुई
नहीं मानता कोई कुछ
अकल न जानें कहाँ गयी
[भोपाल;१५.१२.०८]

नाना नानी

जैसे ही मैं घ्र्म्प्र पहुंची
मम्मी बोली भर लो पानी
साफ़ सफाई घर की करलो
आने बाले नाना नाना नानी
आए जैसे ही घर दोनों
लाये भारी भरी अटैची
दौड़ी दौड़ी मै बसते से
आनन फानन लाई कैंची
देखी टॉफी खेल खिलौने
खुशियाँ भूलीं ठौर ठिकाना
होम वर्क ना कर पाने का
सबसे अच्छा मिला बहाना
बत्बारे ने खड़ा कर दिया
छीना झपटी और झगड़ना
चुन्नू मुन्नू किए तमाशा
रोना धोना पैर पटकना
नाना नानी ने दोनों को
अपनी अपनी गोद उठाया
आंसू पोछे लाड प्यार से
चुन्नू मुन्नू को समझाया
[भोपल१५.१२.०८]

Tuesday, May 19, 2009

आलिम फाजिल

अम्मा बापू ने समझाया
कैसे कैसे वे पढ़पाए
पट्टी की पूजा होने पर
गुड़ का भेला फूटा
गाँव और बच्चों ने मिलजुल
खूब मज़ा तब लूटा
रोज़ 'बुद्क्का ' पट्टी के संग
पैदल पढने शाला आए
'कित्किन्नो ' के ऊपर हमने
अपनी कलम घुमाई
'ओनम' गिनती पंडितजी ने
बार बार रत्बाई
कान खिचे मुर्गा बन करके
जाने कितने डंडे खाए
पंडितजी के संकेतों पर
पढ़ते लिखते सोते
रहे खपाते जी पढनेमें
मिले सदा ही पढ़ते
भूखे नंगे रह पढ़े लिखे
तब बन पाये आलिम फाजिल
[भोपाल:१३.०२.०९]

Tuesday, May 5, 2009

मैदान

लंबा चौड़ा हो मैदान
खेल कूद का हो सामान
मिलजुल हम सब खेलें खेल
खेल भावना का हो मेल
आगे चलकर हम सब बच्चे
बने खिलाड़ी सबसे अच्छे
फिर हों हम सब बल्लेबाज
हो दुनिया को मह पर नाज
छक्कों की जब हो भरमार
विश्व कपों से जोडें तार
ध्यानचन्द्र बिंद्रा सा काम
कपिल सानिया सा हो नाम
देश बिदेशी हो मैदान
रहे तिरंगे की बस शान
[भोपाल:०५.०५.०९]

Sunday, May 3, 2009

पप्पू निम्मी

एकबार आती है होली
खुशियों से भर लाती झोली
गली गली में होली मनती
कली कली हर मन की खिलती
उड़े गुलाल नाचे पिचकारी
सराबोर है दुनिया सारी
वन उपवन सब क्यारी क्यारी
नाचते बजा बजा कर तारी
दादा दादी पापा मम्मी
सबसे खुश हैं पप्पू निम्मी
[भरूच:नीरजा .११.०३.०९]

दीपक एक दिखें अनेक

शीशे कभी न झूठ बोलते
छिपे भेद का भेद खोलते
जब दो अकदेंडैडं सीना तानें
एक दूसरे के हो सामने
बीच में जलता दीपक एक
बच्चे देखें दिखें अनेक
[भरूच:०७.०३.०९]