Tuesday, May 19, 2009

आलिम फाजिल

अम्मा बापू ने समझाया
कैसे कैसे वे पढ़पाए
पट्टी की पूजा होने पर
गुड़ का भेला फूटा
गाँव और बच्चों ने मिलजुल
खूब मज़ा तब लूटा
रोज़ 'बुद्क्का ' पट्टी के संग
पैदल पढने शाला आए
'कित्किन्नो ' के ऊपर हमने
अपनी कलम घुमाई
'ओनम' गिनती पंडितजी ने
बार बार रत्बाई
कान खिचे मुर्गा बन करके
जाने कितने डंडे खाए
पंडितजी के संकेतों पर
पढ़ते लिखते सोते
रहे खपाते जी पढनेमें
मिले सदा ही पढ़ते
भूखे नंगे रह पढ़े लिखे
तब बन पाये आलिम फाजिल
[भोपाल:१३.०२.०९]

No comments: