Wednesday, May 20, 2009

चुन्नू मुन्नू

घर आँगन बुनता सन्नाटा
सूनेपन का सिर भन्नाता
चुन्नू मुन्नू ज्योहीं जागे
लड़ना रोना चील झपट्टा
भनक पडी जब अम्माको
चैन कहाँ फिर अम्मा को
छोड़ा चौका चूल्हा सब
गुस्सा आया अम्मा को
खबर लगी जब पप्पा को
दौड़े दौड़े घर आए
दोनों लिपटे पप्पा को
फरियादें जब शुरू हुईं
दोनों हो गए छुई मुई
नहीं मानता कोई कुछ
अकल न जानें कहाँ गयी
[भोपाल;१५.१२.०८]

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