जब तक बडा नहीं हो जाऊँ
तब तक मैं स्कूल न जाऊँ
भूख लगे माँ दूध पिलाती
निंदिया आए खाट बिछाती
मीठी मीठी रोली गाती
कथा कहानी खूब सुनाती
मैं घर भर मैं खुशियाँ बोऊँ
पापा जी ज्यों घर आते
ढेलों छालीं खुछियाँ लाते
खेल खिलौना खूब खिलाते
बाग़ बगीचा छैल कलाते
फिल तो मैं बिल्कुल ना लोऊँ
[भरूच:०६.१०.०८]
Wednesday, November 4, 2009
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