Saturday, February 7, 2009

कोयल बच्चों में होड़

कोयल ने जब गाना गाया
बच्चों ने मिल उसे चिढ़ाया

कोयल बच्चो में होड़ लगी
सारी सीमायें तोड़ चली

कोयल ने जब जैसा गाया
बच्चों ने बैसा दुहराया

जिसने सुना उसी को भाया
मजा खूब बच्चों को आया
[ भोपाल:१६.०९ .०८ ]

8 comments:

दिगम्बर नासवा said...

कोयल रोज मुंडेर पर आती
मीठे मीठे गाने गाती
बच्चों के दिल को बहलाती

बच्चों की दिल को सचमुच यह कविता बहुत है भाति

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Journalist said...

उत्तम! ब्लाग जगत में पूरे उत्साह के साथ आपका स्वागत है। आपके शब्दों का सागर हमें हमेशा जोड़े रखेगा। कहते हैं, दो लोगों की मुलाकात बेवजह नहीं होती। मुलाकात आपकी और हमारी। मुलाकात यहां ब्लॉगर्स की। मुलाकात विचारों की, सब जुड़े हुए हैं।
नियमित लिखें। बेहतर लिखें। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मिलते रहेंगे।

Dr. Virendra Singh Yadav said...

khoobsurat blog ke liye badhai swikar karen.shabdo ki mayanagry me apka hardik abhinandan

Dr. Virendra Singh Yadav said...

khoobsurat blog ke liye badhai swikar karen.shabdo ki mayanagry me apka hardik abhinandan

Jaijairam anand said...

aap sabne jo hauslaa badhaayaa hirdy se aabhaar.seekh rhaa hun aapp sbse baat cheet krnaa
Dr anand

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर बालगीत है।बधाई।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

wah jee wah! narayan narayan