कोयल ने जब गाना गाया
बच्चों ने मिल उसे चिढ़ाया
कोयल बच्चो में होड़ लगी
सारी सीमायें तोड़ चली
कोयल ने जब जैसा गाया
बच्चों ने बैसा दुहराया
जिसने सुना उसी को भाया
मजा खूब बच्चों को आया
[ भोपाल:१६.०९ .०८ ]
Saturday, February 7, 2009
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8 comments:
कोयल रोज मुंडेर पर आती
मीठे मीठे गाने गाती
बच्चों के दिल को बहलाती
बच्चों की दिल को सचमुच यह कविता बहुत है भाति
बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
उत्तम! ब्लाग जगत में पूरे उत्साह के साथ आपका स्वागत है। आपके शब्दों का सागर हमें हमेशा जोड़े रखेगा। कहते हैं, दो लोगों की मुलाकात बेवजह नहीं होती। मुलाकात आपकी और हमारी। मुलाकात यहां ब्लॉगर्स की। मुलाकात विचारों की, सब जुड़े हुए हैं।
नियमित लिखें। बेहतर लिखें। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मिलते रहेंगे।
khoobsurat blog ke liye badhai swikar karen.shabdo ki mayanagry me apka hardik abhinandan
khoobsurat blog ke liye badhai swikar karen.shabdo ki mayanagry me apka hardik abhinandan
aap sabne jo hauslaa badhaayaa hirdy se aabhaar.seekh rhaa hun aapp sbse baat cheet krnaa
Dr anand
बहुत सुन्दर बालगीत है।बधाई।
wah jee wah! narayan narayan
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