काले काले बदल छाये
सागर से पानी भर लाये
चंदा सूरज जेल में डाले
मुंह दिखलाने से शरमाये
हाय हाय यह वर्षा कैसी!
रिमझिम रिमझिम बरसे पानी
पलभर को भी रुके ण पानी
घर से निकलो जी घबराए
आती याद सभी को नानी
हाय हाय यह वर्षा कैसी!
नद नालों में पूर आ गई
गली गाँव खलिहान छा गई
ऊबे पशु पंछी नर नारी
आंधी पानी बाढ़ आगयी
हाय हाय यह वर्षा कैसी!
[पंजिम:११.०८.८८]
Tuesday, July 21, 2009
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