मम्मी मुझको पढ़ने जाना
जब छुट्टी हो लेने आना
नई ड्रेस हो रंग बिरंगी
देखें खुश हों संगी साथी
नया नया हो मेरा बस्ता
मेरा ताजा नाश्ता खस्ता
छुट्टी हो मिलजुलकर खाएँ
खाकर के ताज़ा हों जाएँ
घर आँगन जैसी हो शाला
दादा दादी सा रखवाला
रंग बिरंगे पन्नों वाली
हर किताब का ताना बाना
लगता हो जाना पहचाना
[भोपाल:०६.०९.०८]
Tuesday, July 21, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment