Tuesday, July 21, 2009

कहानी वारिश की

नाव हमारी है कागज की
अजब कहानी वारिश की
सूरज निकला आसमान में
धूपदान की हठ ठानी
भूरे काले बादल दौड़े
वारिश करती मनमानी
सड़क डगर सब गलियाँ भीगीं
ghr aangn में पानी पानी
रेनकोट छतरी चिल्लाई
नाव कर रही अगवानी
नाव हमारी कागज़ की
अजब कहानी वरिश ki
दौडे राही इधर उधर को
भींग ण जाए कपड़े लत्ते

पेड़ों कीछाया में ठिठके

बचा रहे मिलजुलकर पत्ते

खाली हाथों बादल भागे

खर से सर से जैसे सींग

faili गंध सरीली भीनीं

बिखरी ज्यों धरती पर हींग

टप टप बूंदों में खत्म कहानी

अजब कहानी वारिश ki

[panjim : 29.06.88] :

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