बचपन बडा सुहाना
भूख लगे मां दूध पिला दे
निदियाँ आए दूध पिला दे
रोली गा दे मीठी-मीठी
कथा-कहानी छोटी-मोटी
माँ का रोज़ सुनाना
पापाजी ज्यों घर आयें
ढेरो सारी खुशिया लायें
टॉफी बिस्कुट खेल खिलौना
बाग़-बगीचा सैर काराना
चलता नहीं बहाना
[भरूच:०६.१०.०९]
जाऊँ
ool न जाऊँ
[ भरूच - नीरजा a : ०६/१०/०८]
Monday, October 13, 2008
Tuesday, September 23, 2008
सुबह सुबह
सुबह सुबह का सुखद नज़ारा
सुबह सबेरे सूरज निकले
हो जैसे फुटबाल
सारा आसमान रंग जाए
लाल लाल ,बस, लाल
जग का सब गायब अंधियारा
कोयल मैना सारे पंछी
चले छोड़ सब नीड़
आसमान में पड़े दिखाई
पंख पसारे भीड़
मंजिल का दूर किनारा
क्यारी क्यारी में आ उतरें
पसार पाव पसार
लाल टमाटर हरी मिर्च में
खुशियों का खुला पिटारा
लाल गुलाब हरी दूब पर
उतरे नया खुमार
रंग बिरंगे फूल फूल पर
किरणें हुईं सवार
करते मोहन किशन इशारा
[भरूच:नीरजा ;११.०६.०८]
सुबह सबेरे सूरज निकले
हो जैसे फुटबाल
सारा आसमान रंग जाए
लाल लाल ,बस, लाल
जग का सब गायब अंधियारा
कोयल मैना सारे पंछी
चले छोड़ सब नीड़
आसमान में पड़े दिखाई
पंख पसारे भीड़
मंजिल का दूर किनारा
क्यारी क्यारी में आ उतरें
पसार पाव पसार
लाल टमाटर हरी मिर्च में
खुशियों का खुला पिटारा
लाल गुलाब हरी दूब पर
उतरे नया खुमार
रंग बिरंगे फूल फूल पर
किरणें हुईं सवार
करते मोहन किशन इशारा
[भरूच:नीरजा ;११.०६.०८]
Wednesday, September 3, 2008
मधुर मधुर मुस्कान
शिशु की मधुर मधुर मुस्कान
छोड़ छाड़ सब काम हाथ के
गोद में उसे उठाये
जो सुख जसुदा माँ ने लूटा
झोली में न समाये
शिशु पर देती पूरा ध्यान
गेंद समझकर उसे उछाले
फूटे हसीं फुआरा
प्रसव वेदना की पीड़ा का
भूल जाय दुःख सारा
'कानावाती 'कू-कू कान में
चुम्मी गाल गाल पर जड़कर
ढेर वलैयाँ लेती
मचे गुदगुदी जब आँचल में
पल्लू से ढक लेती
मेरा जीवन धन्य महान
[भोपाल:१६।०७।०८]
छोड़ छाड़ सब काम हाथ के
गोद में उसे उठाये
जो सुख जसुदा माँ ने लूटा
झोली में न समाये
शिशु पर देती पूरा ध्यान
गेंद समझकर उसे उछाले
फूटे हसीं फुआरा
प्रसव वेदना की पीड़ा का
भूल जाय दुःख सारा
'कानावाती 'कू-कू कान में
चुम्मी गाल गाल पर जड़कर
ढेर वलैयाँ लेती
मचे गुदगुदी जब आँचल में
पल्लू से ढक लेती
मेरा जीवन धन्य महान
[भोपाल:१६।०७।०८]
फूल फूल पर तितली
नंदन वन सा सजा बगीचा
हरी घास का बिछा गलीचा
फूलों ने रंग दी रंगोली
मानों खेल रहें हों होली
फूल फूल पर बैठी तितली
फूल पराग चूसती तितली
जैसे जैसे मैं पास गया
मन में उसके शक सुवह हुआ
हाल चाल कुछ पूंछ न पाया
फुर्र फुर्र उड़ हाथ हिलाया
[भोपाल:०९.०७ ०८]
हरी घास का बिछा गलीचा
फूलों ने रंग दी रंगोली
मानों खेल रहें हों होली
फूल फूल पर बैठी तितली
फूल पराग चूसती तितली
जैसे जैसे मैं पास गया
मन में उसके शक सुवह हुआ
हाल चाल कुछ पूंछ न पाया
फुर्र फुर्र उड़ हाथ हिलाया
[भोपाल:०९.०७ ०८]
Friday, August 22, 2008
चंदा मामा
चंदा मामा तुम लगते हो
माखन मिश्री गोला
घटना बदना रूप बदलना
लगे उधारी चोला
घर से सूरज मामा निकले
लिए उधारी खाता
टकरा जाय राह में मामा
तुमको ना यह भाता
आँख मिचौनी खेला करते
नहीं पकड़ में आते
चांदी के सिक्के में ढलकर
सबका मन ललचाते
मामा के कर्जा के डर से
बहुरुपिया बन जाते
और अमावस की गोदी में
चुपके से छिप जाते
[भोपाल:२०.०८.०८]
माखन मिश्री गोला
घटना बदना रूप बदलना
लगे उधारी चोला
घर से सूरज मामा निकले
लिए उधारी खाता
टकरा जाय राह में मामा
तुमको ना यह भाता
आँख मिचौनी खेला करते
नहीं पकड़ में आते
चांदी के सिक्के में ढलकर
सबका मन ललचाते
मामा के कर्जा के डर से
बहुरुपिया बन जाते
और अमावस की गोदी में
चुपके से छिप जाते
[भोपाल:२०.०८.०८]
Thursday, July 24, 2008
कहानी बारिश की
नाव हमारी है कागज की
अजब कहानी वारिश की
सूरज निकला आसमान में
up दान की हठ ठानी
भूरे काले बादल दौड़े
वारिश करती मनमानी
सड़क डगर सब गलियाँ भींगी
घर आँगन में पानी पानी
enकोट छतरी av क्र रही अगवानी
नाव हमारी है कागज़
अजब कहानी वारिश की
दौड़े राही इधर उधर को
भींग न जाए कपड़े लत्ते
पेड़ों की छाया में thithke
बचा रहे मिलजुलकर atte
खाली हाथों बादल haage
खर के सर से जैसे सींग
फ़ैली गंध धुप की छन में
बिखरी ज्यों धरती पर हींग
टप टप बूंदों में खत्म कहानी
अजब कहानी वारिश की
[पंजिम:२९.०६.८८]
अजब कहानी वारिश की
सूरज निकला आसमान में
up दान की हठ ठानी
भूरे काले बादल दौड़े
वारिश करती मनमानी
सड़क डगर सब गलियाँ भींगी
घर आँगन में पानी पानी
enकोट छतरी av क्र रही अगवानी
नाव हमारी है कागज़
अजब कहानी वारिश की
दौड़े राही इधर उधर को
भींग न जाए कपड़े लत्ते
पेड़ों की छाया में thithke
बचा रहे मिलजुलकर atte
खाली हाथों बादल haage
खर के सर से जैसे सींग
फ़ैली गंध धुप की छन में
बिखरी ज्यों धरती पर हींग
टप टप बूंदों में खत्म कहानी
अजब कहानी वारिश की
[पंजिम:२९.०६.८८]
नटखट चिंटू
मेरा भैया चिंटू नटखट
घुटनों घुटनों दौड़े झटपट
जब जगता तो करता खटपट
बातें करता अटपट पट पट
होम वर्क जब करने बैठूं
कापी पेन किताबp छीन ले
चीलबिलैयाँ करता सट पट
अम्मा को आवाज़ लगाऊँ
लगे रगड़ने पैर फटाफट
जैसे ही अम्मा ने डाटा
लगे टपकने आँसू टपटप
[भोपाल :०८.०७.०८]
घुटनों घुटनों दौड़े झटपट
जब जगता तो करता खटपट
बातें करता अटपट पट पट
होम वर्क जब करने बैठूं
कापी पेन किताबp छीन ले
चीलबिलैयाँ करता सट पट
अम्मा को आवाज़ लगाऊँ
लगे रगड़ने पैर फटाफट
जैसे ही अम्मा ने डाटा
लगे टपकने आँसू टपटप
[भोपाल :०८.०७.०८]
Wednesday, July 23, 2008
छोटी बहना
रूप सलोना
अजब खिलौना
आते ही घर
गोद में चढ़ना
नाचे अँगना
गोद उतरना
घुटनों चलना
जो मिल जाए
मुंह में धरना
और मचलना
हँसना पल में
रोते रोते
सोना पल में
सुख का सपना
[[भरूच:नीरजा :१९.०६.०८]
अजब खिलौना
आते ही घर
गोद में चढ़ना
नाचे अँगना
गोद उतरना
घुटनों चलना
जो मिल जाए
मुंह में धरना
और मचलना
हँसना पल में
रोते रोते
सोना पल में
सुख का सपना
[[भरूच:नीरजा :१९.०६.०८]
धरती सूरज चंदा तारे
आसमान में कितने तारे
गिन गिन सब वैज्ञानिक हारे
चंदा जब बिखरा दे चांदीं
दोनों हाथ बटोरे तारे
धरती माँ को चैन नहीं है
थमती वो दिन रैन नहीं है
सूरज भैया हिलेडुलें ना
तिल भर इसमें झूठ नहीं है
तारामंडल के घर आंगन
बैठो आँख खोल लाखन
सौर मंडली क्रिया-कलाप
नाच उठेंगे आनन् फानन
[बरोदा रेलवे स्टेशन :११.०६.
गिन गिन सब वैज्ञानिक हारे
चंदा जब बिखरा दे चांदीं
दोनों हाथ बटोरे तारे
धरती माँ को चैन नहीं है
थमती वो दिन रैन नहीं है
सूरज भैया हिलेडुलें ना
तिल भर इसमें झूठ नहीं है
तारामंडल के घर आंगन
बैठो आँख खोल लाखन
सौर मंडली क्रिया-कलाप
नाच उठेंगे आनन् फानन
[बरोदा रेलवे स्टेशन :११.०६.
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