Sunday, October 18, 2009

पढने जाना

मुम्मी मुझको पढने जाना
जब छुट्टी हो लेने आना
नई ड्रेस हो रंग बिरंगी
देखे खुश हो साथी संगी
नया नया हो बस्ता प्यारा
ताजा नास्ता मीठा खारा
छुट्टी हो मिलजुलकर खाएँ
खाकरके ताजा हो जाएँ
घर आँगन जैसी हो शाला
दादा दादी -सा रखवाला
रंग बिरंगे पन्नों वाली
नीले पीले रंगों वाली
हर किताब का ताना बाना
लगता हो जाना पहचाना
[भोपाल:०६.०९.०८]

No comments: