मुम्मी मुझको पढने जाना
जब छुट्टी हो लेने आना
नई ड्रेस हो रंग बिरंगी
देखे खुश हो साथी संगी
नया नया हो बस्ता प्यारा
ताजा नास्ता मीठा खारा
छुट्टी हो मिलजुलकर खाएँ
खाकरके ताजा हो जाएँ
घर आँगन जैसी हो शाला
दादा दादी -सा रखवाला
रंग बिरंगे पन्नों वाली
नीले पीले रंगों वाली
हर किताब का ताना बाना
लगता हो जाना पहचाना
[भोपाल:०६.०९.०८]
Sunday, October 18, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment