मेरी पतंग के क्या कहने
रंग विरंगे कपड़े पहने
मंहगे -गहने लम्बी चोटी
हवा खिलाती उसको रोटी
फर फर हवा संग उड़ जाती
नीलगगन से हाथ मिलाती
लम्बी डोरी मांझा तगड़ा
लड़े पेंच हो जाए झगड़ा
'बो काटा 'बच्च्बों को भाया
लूट पात फिर मजा उडाया
[भोपाल:०७.०२.०९]
Sunday, October 18, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment