आओ हम सब खेले खेल
मिलजुलकर बन जाए रेल
आगे ही वाला इंजन हो
पीछे झंडी वाला हो
बीच में हम सब बोगी हों
दूर रहें जो रोगी हों
हँसते गाते खेले खेल
मिलजुलकर बन जाए रेल
पढ़ना लिखना छोड़ो बस्ता
सफ़र लगेगा सबको सस्ता
सीटी सुनकर चल दी गाड़ी
छुक छुक छुक छुक बोले गाड़ी
मज़ा दे रहा सबको खेल
मिलजुलकर बन जाए रेल
धीरे धीरे ही चलती है
स्टेशन पर ही रुकती है
लो आया अब घर नानी का
मज़ा मिले खाने पीने का
ख़तम करो अब रेलमपेल
मिलजुलकर बन जाए रेल
[भोपाल:१५०९.]
1 comment:
बहुत बढिया बालरचना है। बधाई
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